चन्दर सोनाने
राज्य सरकार ने विधानसभा में अधिनियम पारित कर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के आवासहीन गरीबों को आवास सुविधा मिल सके इसके लिए महत्वपूर्ण निर्णय वर्षों पूर्व लिए थे। किन्तु इंदौर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी बड़े कॉलोनाईजरों के दबाव में ग्रामीण क्षेत्र के आवासहीन गरीबां से यह आवास सुविधा छीनने की साजिश रच रहे हैं। इंदौर कलेक्टर ने पिछले दिनों राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलोनाईजरों द्वारा बनाए जा रहे मकानों में एलआईजी और ईडब्ल्यूएस आवास बनाने के अनिवार्य नियमों को खत्म करने का प्रस्ताव भेजा है। उल्लेखनीय है कि देश के एक बड़े कॉलोनाईजर क्रेडाई और अन्य भू-माफिया लंबे समय से इसकी माँग करते आए है और भूमाफियाओं के फैलाए जाल में कलेक्टर फँस गए हैं। कलेक्टर के इस प्रयास से जहाँ भू-माफियाओं में खुशी की लहर है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के आवासहीनों को पता ही नहीं है कि उनके विरूद्ध किस प्रकार की साजिश रची जा रही है !
एक तरफ इंदौर कलेक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के आवासहीनों से आवास छीनने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरी तरफ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर ने हाल ही में यह महत्पूर्ण घोषणा की है कि गाँवों में भी शहरों की तर्ज पर कॉलोनियाँ बसाई जायेगी। अर्थात् हरियाणा के मुख्यमंत्री जिस प्रकार शहरों में आवास हीनों के लिए कॉलोनियाँ बसाई जा रही है, उसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवास हीनों के लिए कॉलोनियाँ बनाने का सपना संजोए हुए है। मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के कलेक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आवासहीनों से आवास सुविधा छीनने का प्रयास किया जा रहा है और उनकी कोशिश है कि इंदौर के साथ ही पूरे प्रदेश में उनकी योजना सफल हो। इंदौर कलेक्टर के इस नाकाम प्रयास को क्या कहा जाए ?
उल्लेखनीय है कि इंदौर कलेक्टर ने हाल ही में राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा है कि रियल एस्टेट सेक्टर के लिए शहरी क्षेत्र की तरह पंचायतों में भी एलआईजी और ईडब्ल्यूएस आवास बनाने का निर्णय खत्म किया जाए। शहरी क्षेत्र में भू माफिया पहले ही यह निर्णय राज्य शासन से करवा चुका है। अब उनकी नजर ग्रामीण क्षेत्र की ओर है। इंदौर कलेक्टर की पहल पर अब राज्य सरकार नगरपालिका निगम 2021 की तर्ज पर मध्यप्रदेश ग्राम पंचायत नियम 2014 में भी बदलाव करने की तैयारी में है। यह कदापि नहीं होना चाहिए। बल्कि पूर्व में राज्य सरकार द्वारा नगर पालिका निगम 2021 द्वारा शहरी क्षेत्रों से गरीबों के लिए मिल रही एलआईजी और ईडब्ल्यूएस की आवास सुविधा को खत्म कर दिया गया है,उसे भी रद्द किया जाना चाहिए। गरीबों को यह पता ही नहीं चलता है कि कब भू-माफियाओं की पहल पर राज्य सरकार उनकी आवास सुविधा छीन लेते है ! चुपचाप यह सब हो जाता है और गरीब देखते रह जाते हैं ! यह भी पता चला है कि क्रेडाई के प्रस्ताव को इंदौर कलेक्टर द्वारा राज्य सरकार को भेज देने के बाद राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। यदि यह हो रहा है तो पूर्ण रूप से गलत है।
उल्लेखनीय है कि इंदौर के कलेक्टर वही है, जिनके कुप्रबंधन, अदूरदर्शिता और लापरवाही के कारण पिछले दिनों इंदौर में एक कुएँ के धंसने पर 36 लोगों की अकाल मौत हो गई थी। इस कारण लगातार 6 साल तक स्वच्छता अभियान के अर्न्तगत देश में प्रथम स्थान पर रहे इंदौर के नाम पर कालिख पुत गई थी।
हाल ही में इंदौर में भू माफिया द्वारा आवासहीनों के साथ की जा रही मनमानी को निरंतर प्रकाशित किया जा रहा है। इन समाचारों से यह पता चलता है कि भू-माफियाओं द्वारा तीन साल में आई 255 शिकायतों में से सिर्फ 100 का ही निराकरण किया गया है। बाकि शिकायतें अधर में लटकी हुई है। शिकायतकर्ताओं को भू-माफिया न तो प्लाट दे रहे है और न राशि लौटा रहे हैं। बल्कि वे शिकायतकर्ता पीड़ितों को ही धमका रहे है। इन्दौर के कई भू-माफियाओं पर धोखाधड़ी के अनेक प्रकरण भी दर्ज है। इस प्रकार शहरी क्षेत्र के नागरिक पहले से भू-माफियाओं से पीड़ित है। अब इंदौर कलेक्टर के प्रस्ताव पर राज्य सरकार बड़े कॉलोनाईजरों के हित में और गरीबों के विरूद्ध निर्णय लेती है तो आवासहीनों का भगवान ही मालिक है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यूं तो अपने आप को किसान का बेटा बोलते है। इसलिए भी उन्हें चाहिए कि बड़े कॉलोनाईजरों और भू-माफियाओं की मनमानी पर रोक लगाई जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि वे इंदौर कलेक्टर के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं देकर ग्रामीण आवासहीनों के साथ न्याय करें। अब आगे देखते है कि मुख्यमंत्री बड़े कॉलोनाईजरों की सुनते हैं या आवासहीन गरीबों का ध्यान रखते हैं ?