सोशल मीडिया की बुराइयां तो आए दिन सामने आती हैं, लेकिन इससे कई सुधारात्मक और रचनात्मक कार्य भी हो सकते हैं। भैंसदेही तहसील के बासनेर खुर्द के युवक-युवतियों द्वारा की गई एक अनूठी पहल इसका जीता जागता उदाहरण है।
युवाओं के द्वारा बनाए गए 'मेरा गांव, मेरे अपने' ग्रुप की बदौलत ही इस गांव की गलियां रविवार को एलईडी बल्ब से रोशन हो जाएंगी। ग्रुप के सदस्यों ने इसके लिए 40 हजार रुपए एकित्रत किए और बल्ब भी खरीदे जा चुके हैं। एक साल पहले यह पहल गांव से विदा हो चुकी बेटी प्रियंका राजेंद्र धोटे और युवा लोकेश अड़लक ने की थी।
सोशल मीडिया की बुराइयां तो आए दिन सामने आती हैं, लेकिन इससे कई सुधारात्मक और रचनात्मक कार्य भी हो सकते हैं। भैंसदेही तहसील के बासनेर खुर्द के युवक-युवतियों द्वारा की गई एक अनूठी पहल इसका जीता जागता उदाहरण है।
युवाओं के द्वारा बनाए गए 'मेरा गांव, मेरे अपने' ग्रुप की बदौलत ही इस गांव की गलियां रविवार को एलईडी बल्ब से रोशन हो जाएंगी। ग्रुप के सदस्यों ने इसके लिए 40 हजार रुपए एकित्रत किए और बल्ब भी खरीदे जा चुके हैं। एक साल पहले यह पहल गांव से विदा हो चुकी बेटी प्रियंका राजेंद्र धोटे और युवा लोकेश अड़लक ने की थी।