कैलाश शर्मा
राजनीतिक विश्लेषक
कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम ने 3 संदेश दिए हैं।
पहला यह कि मतदाताओं ने कांग्रेस के शब्दों और सच्चाई पर भरोसा किया, इसलिए कांग्रेस के पक्ष में अधिसंख्य अर्थात निर्णायक मतदाताओं ने वोट किया।
इसी के समानांतर महत्वपूर्ण बात यह कि जीत दिलवाने मे बड़ी भूमिका बूथ स्तर के कांग्रेस साथियों की रही। उन्हीं के प्रयासों से मतदाता बूथ पर पहुंचे और कांग्रेस को अधिकतम वोट मिले। वरना त्रिकोणीय संघर्ष में स्पष्ट बहुमत लाना टफ होता है।
दूसरा संदेश है कि कांग्रेस चुनाव में प्रचार के प्रचलित अभियान की बजाय माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस करती, तो बेहतर नतीजे आ सकते थे। वस्तुतः कर्नाटक में कांग्रेस का तूफान था और भाजपा को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए कि कांग्रेस प्रचार के लिए पारंपरिक तौर-तरीकों पर आश्रित रही, आवश्यकता थी बड़े नेताओं की जन-सभाएँ-रैलियां आदि करवाने की बजाय ब्लॉक इलाकों में सक्रिय किया जाता। हवाई दौरों के बजाय उन बूथों पर फोकस करते, जहाँ कांग्रेस को लीड नहीं मिली। कर्नाटक तो कांग्रेस को 200 सीटों का तोहफा देने को तैयार था, लेकिन एक्शन प्लान जड़ों तक नहीं पहुंचा। इस कारण भाजपा को नेस्तनाबूद नहीं कर पाए। दरअसल कांग्रेस के बड़े नेता जो चुनाव का संचालन करते हैं, उनमें कहीं न कहीं प्रबल इच्छा शक्ति का अभाव नजर आता है, तभी कांग्रेस पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र मे हार जाती है। कांग्रेस की टीम मे जीत की ललक रखने वाले कांग्रेस साथियों की जरुरत है, भाड़े वाली एजेंसियों की नहीं।
अब राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी ने 156 सीटों का मिशन बनाया है, जबकि व्यवहारिक सच यह है कि कर्नाटक की हार से आहत भाजपा राजस्थान में पुरजोर ताकत लगाएगी। बावजूद उसके कांग्रेस 181 सीटें जीतने में सक्षम है, क्योंकि एक तरफ राजस्थान की भाजपा 20 गुटों में विभाजित है और दूसरी तरफ अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलने के कारण कांग्रेस का तूफान क्रिएट किया जा सकता है। यह तब संभव है, जबकि सभी 200 सीटें जीतने की ललक के साथ चुनाव रणनीति कक्ष संचालित हो और जिन कांग्रेस साथियों को ग्रासरूट वर्किंग की समझ हो, उन्हें जिम्मा दिया जाए।
तीसरा संदेश है भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन का, कर्नाटक मे 40% कमीशन के मुद्दे ने निर्णायक मतदाताओं को कांग्रेस की तरफ उन्मुख किया। इस स्विंग ने कांग्रेस की जीत का आधार बनाया। मतदाता वस्तुतः सुशासन चाहता है। कांग्रेस के नीति-निर्धारकों की जिम्मेदारी है, भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन जारी रखेंगे यह भरोसा मतदाताओं मे जगाएं। मतदाता की आवश्यकता निशुल्क प्राप्ति नहीं बल्कि सुशासन है। एक सरकारी कार्यालय में उसका जेनुइन काम निर्बाध हो जाए, यह अपेक्षा रहती है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारी यदि नागरिकों को परेशान करता है या रिश्वत की चाहत में उनका काम अटकाता है तो नागरिकों की नाराजगी राज करनेवाले राजनीतिक दल को भारी पड़ती है, अतः मुख्यमंत्री जी यह सुनिश्चित करायें कि सरकारी तंत्र ( सभी विभागों) में जितनी फाइलें-कामकाज अटके पड़े हैं, वे तीन महीने का विशेष अभियान चला कर निपटाएँ व जन-जन को राहत दें।यह राहत कांग्रेस के लिए बड़ी जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी।