करीब 64 हज़ार करोड़ रुपये की इस बर्बादी में 80 फीसदी उत्पाद का कोई बीमा नहीं होता। इससे सदी के अंत तक पैदावार पर गंभीर असर पड़ने वाला है। संसदीय समिति के सामने रखी कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक आगामी दशकों में कईं फसलों की पैदावार चालीस फीसदी तक घट सकती है, जिसमें गेहुं, चावल, दालें, सब्जियां और फल हैं। इससे बचने के लिए खेती के तौर तरीके बदलने के सिवा कोई रास्ता नहीं।