अमेज़न द्वारा अपनी कम्पनी प्रिओंन में हिस्सेदारी कम करके क्लाउडटेल को अपनी ग्रुप कम्पनी से अलग रखने की शातिर कोशिश को कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स कैट) ने बड़ी गंभीरता से लिया है और कहा है की एफडीआई पालिसी को तोड़ मरोड़ कर अपने पक्ष के हिसाब से निष्कर्ष निकालने का अमेज़न का यह नया पैंतरा हैं।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की यह सरासर बेईमानी है और कैट इसके खिलाफ वाणिज्य मंत्रालय में शिकायत करेगा और मांग करेगा की मंत्रालय अमेज़न के इस नापाक इरादे को देखते हुए पालिसी को स्पष्ट करे की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोई कम्पनी किसी भी वेंडर में हिस्सेदारी नहीं रखेगी।
अफ़सोस की बात है की अमेज़न जैसी कंपनियां पालिसी की भाषा को अपने हिसाब से पढ़ते हुए सरकारकी पालिसी जारी करने की मंशा के खिलाफ काम कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है की ये कंपनियां इस काम में मास्टर है।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा की अमेज़न जैसी कंपनियां आदतन अपने लाभ और स्वार्थ के लिए पालिसी के खिलाफ काम करती हैं और अब प्रेस नोट2 के प्रावधानों से बचने का रास्ता निकाल रही हैं जिससे वो अपने अस्वस्थ तरीके के व्यापार को जारी रख सकें।
Courtesy: GNS
अमेज़न द्वारा अपनी कम्पनी प्रिओंन में हिस्सेदारी कम करके क्लाउडटेल को अपनी ग्रुप कम्पनी से अलग रखने की शातिर कोशिश को कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स कैट) ने बड़ी गंभीरता से लिया है और कहा है की एफडीआई पालिसी को तोड़ मरोड़ कर अपने पक्ष के हिसाब से निष्कर्ष निकालने का अमेज़न का यह नया पैंतरा हैं।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की यह सरासर बेईमानी है और कैट इसके खिलाफ वाणिज्य मंत्रालय में शिकायत करेगा और मांग करेगा की मंत्रालय अमेज़न के इस नापाक इरादे को देखते हुए पालिसी को स्पष्ट करे की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोई कम्पनी किसी भी वेंडर में हिस्सेदारी नहीं रखेगी।
अफ़सोस की बात है की अमेज़न जैसी कंपनियां पालिसी की भाषा को अपने हिसाब से पढ़ते हुए सरकारकी पालिसी जारी करने की मंशा के खिलाफ काम कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है की ये कंपनियां इस काम में मास्टर है।
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा की अमेज़न जैसी कंपनियां आदतन अपने लाभ और स्वार्थ के लिए पालिसी के खिलाफ काम करती हैं और अब प्रेस नोट2 के प्रावधानों से बचने का रास्ता निकाल रही हैं जिससे वो अपने अस्वस्थ तरीके के व्यापार को जारी रख सकें।
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