वेद माथुर
राजस्थान में पिछले कुछ सालों में राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं अन्य माध्यमों से हुई भर्तियों में पेपर आउट और अनेक तरह की धांधली से राजस्थान के लाखों बेरोजगार युवा आहत हैं।
सचिन पायलट ने अपनी पदयात्रा के माध्यम से राजस्थान के करोड़ों बेरोजगारों की दुखती नस पर हाथ रख दिया है और अजमेर के राजस्थान लोक सेवा आयोग से जयपुर तक की उनकी छोटी सी पदयात्रा ने उनके कद को कई गुना बढ़ा दिया है।
चर्चा है कि सचिन पायलट ने प्रशांत किशोर को हायर किया है और उन्हीं की सलाह पर उन्होंने राजस्थान के युवा बेरोजगारों का समर्थन जुटाने के लिए यह मांग रखी है कि राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को बंद कर कोई नई व्यवस्था लाई जाए और पेपर लीक से जिन बच्चों का नुकसान हुआ, उन्हें उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाए। अगर ये मांगे पन्द्रह दिन में पूरी नहीं होती है तो पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा।
इन दोनों मांगों का पूरा होना असंभव है।
जो लोग कर्नाटक में कांग्रेस की विजय को राजस्थान से जोड़कर देख रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि कर्नाटक में कांग्रेस पास नहीं हुई है बल्कि परीक्षा ही भारतीय जनता पार्टी की थी और भारतीय जनता पार्टी इस परीक्षा में पूरी बुरी कदर से फेल हुई है! राजस्थान में इस बार इम्तिहान कांग्रेस को देना है और उनके परीक्षा प्रश्न पत्र में गवर्नेंस के बहुत ज्यादा नंबर है, जो कि कांग्रेस का सबसे कमजोर एरिया है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह परीक्षा उस छात्र के लिए आईआईटी प्रवेशपूर्व परीक्षा पास करने जैसी है, जिसकी गणित कमजोर है!
भारतीय जनता पार्टी विपक्ष के रूप में सरकारी रोजगार देने में हुई धांधली को नहीं भुना पाई है, जबकि सचिन पायलट ने अपनी पदयात्रा ने बेरोजगारों के घाव पर मरहम के आश्वासन के साथ सही जगह हाथ रखकर इसे चुनाव का एक मुख्य मुद्दा बना दिया है।
कल तक सचिन पायलट केवल गुर्जरों के एक वर्ग के नेता थे लेकिन आज वह विभिन्न जातियों के साथ-साथ सभी जाति धर्म के युवाओं के हृदय में प्रवेश कर रहे हैं।
आज की स्थिति में राजस्थान से कांग्रेस की विदाई तय लग रही है और निसंदेह सचिन पायलट की उस में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
राजस्थान का यह चुनाव गहलोत सहित सचिन पायलट को कमतर आंकने वाले लोगों के लिए सबक होगा।