राजकुमार सिन्हा
नर्मदा बचाओ आंदोलन द्वारा राष्ट्रीय नदी घाटी मंच का सम्मेलन यादव भवन नवलपुरा बडवानी में आयोजित किया गया।जिसमें कावेरी,गोदावरी, तीस्ता, महानदी,तापी,कोसी, भागीरथी,गंगा,साबरमती,ब्रह्मपुत्र,पेरियार, कृष्णा,पार्वती, कारम, वांग, पेंच,चम्बल आदि नदियों को बचाने वाले के लिए काम कर रहे जन संगठन और विशेषज्ञ शामिल हुए।सम्मेलन की भूमिका को रखते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण देश के नदियों का अस्तित्व खतरे में पङ गया है।इसे बचाने के लिए एक केन्द्रीय कानून की आवश्कता है। सम्मेलन में कानून मसौदा पर चर्चा होकर इसे पारित किया गया।यह कानून आज समय की मांग है और प्रत्येक नागरिक समाज का दायित्व है इस कानून को बनवाने में सक्रिय सहयोग प्रदान करें।अन्तरराष्ट्रीय गोल्डमेन अवार्ड विजेता उङीसा के प्रफुल्ल समांत्रा ने कहा कि जंगल को संरक्षित, हवा प्रदुषण, जल प्रदूषण के लिए कानून है।मगर नदी एक जीवित इकाई है, को संरक्षित करने के लिए कोई कानून नहीं है।देश के लिए यह कानून अति आवश्यक है और इसे हम हासिल करके के रहेंगे।केरल के सी.एल निलकंदन ने कहा कि नदी की पहचान बहते हुए पानी से होती है।जिसे बांध बनाकर खत्म किया जा रहा है।उत्तराखंड से आए समीर रतूङी ने जोशीमठ के हादसे को अनियंत्रित विकास को जिम्मेदार माना।उत्तर प्रदेश के अशोक प्रकाश ने कहा कि देश की जनता को समझना होगा कि कार्पोरेट अपने मुनाफा के लिए नदियों पर कब्जा कर रहा है।बिहार के महेन्द्र यादव कोशी नदी का बाढ और जमीन कटाव के कारण गांव का गांव विलुप्त हो रहा है।महाराष्ट्र के बुधा डामसे ने नदियों पर निर्भर मछुआरों के पहला अधिकार को सुनिश्चित करने की बात रखी। ब्रह्मपुत्र नदी आसाम से विद्युत सैकिया ने कहा कि नार्थ इस्ट में जो कुछ हो रहा है उसकी राष्ट्रीय समाचार में कोई चर्चा नहीं होती है।जबकि इसे ब्रह्मपुत्र नदी के उपर अरूणाचल प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन के लिए बङा बांध बनाया जा रहा है।इस विधेयक मसौदा को उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख, राज्य सभा सांसद अनिल हेगङे,देबू राय सांसद पश्चिम बंगाल और पूर्व विधायक डाक्टर सुनीलम ने इस विधेयक मसौदा का समर्थन किया और आश्वासन दिया कि इसे संसद तक पहुंचाने में सक्रिय सहयोग देंगे।