प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लागू करने के अपने इरादे में सरकार यदि सफल हुई, तो देश का 50 साल पुराना स्कूली शिक्षा का ढांचा पूरी तरह से बदल जाएगा. हालांकि सरकार ने जिस तरह से बजट में इसे लागू करने का इरादा जताया है, उसके बाद इसे लेकर हलचल बढ़ी हुई है.
इसके चलते जो बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, उनमें स्कूली शिक्षा में फाउंडेशन स्तर के एक नए शिक्षाक्रम की शुरूआत होगी. जिसमें प्री-प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक की पढाई शामिल होगी. जबकि प्राथमिक (प्राइमरी) शिक्षाक्रम सिमट कर तीसरी, चौथी और पांचवी तक रह जाएगा. स्कूली शिक्षा का मौजूदा ढांचा 1968 में तैयार किया गया था.
नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित मसौदे में स्कूली शिक्षा के ढांचे में बदलाव के इस लक्ष्य को 2022 तक हासिल करने की सिफारिश की गई है. साथ ही कहा कि इससे स्कूली शिक्षा में रटने-रटाने का चलन खत्म होगा और बच्चों में आवश्यक ज्ञान, मूल्य, रूझान, हुनर और कौशल जैसे तार्किक चिंतन, बहुभाषी क्षमता और डिजिटल साक्षरता जैसे विषयों के विकास में मदद मिलेगी.
प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लागू करने के अपने इरादे में सरकार यदि सफल हुई, तो देश का 50 साल पुराना स्कूली शिक्षा का ढांचा पूरी तरह से बदल जाएगा. हालांकि सरकार ने जिस तरह से बजट में इसे लागू करने का इरादा जताया है, उसके बाद इसे लेकर हलचल बढ़ी हुई है.
इसके चलते जो बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, उनमें स्कूली शिक्षा में फाउंडेशन स्तर के एक नए शिक्षाक्रम की शुरूआत होगी. जिसमें प्री-प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक की पढाई शामिल होगी. जबकि प्राथमिक (प्राइमरी) शिक्षाक्रम सिमट कर तीसरी, चौथी और पांचवी तक रह जाएगा. स्कूली शिक्षा का मौजूदा ढांचा 1968 में तैयार किया गया था.
नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित मसौदे में स्कूली शिक्षा के ढांचे में बदलाव के इस लक्ष्य को 2022 तक हासिल करने की सिफारिश की गई है. साथ ही कहा कि इससे स्कूली शिक्षा में रटने-रटाने का चलन खत्म होगा और बच्चों में आवश्यक ज्ञान, मूल्य, रूझान, हुनर और कौशल जैसे तार्किक चिंतन, बहुभाषी क्षमता और डिजिटल साक्षरता जैसे विषयों के विकास में मदद मिलेगी.