देश के तमाम पत्रकार संघों ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को चिठ्ठी लिखी है। न्यूज़क्लिक पर सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई और उसके पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार के विरोध में। अभी तक इस चिठ्ठी पर किसी तरह के संज्ञान की सूचना तो नहीं है ,लेकिन इस देश की पत्रकारिता उनसे आशा करती है कि वे भारतीय संविधान में आम नागरिक को प्राप्त अभिव्यक्ति की आज़ादी और असहमति के सुरों को संरक्षण देने का काम करेंगे। इस मुल्क़ के पत्रकार अपने लिए कोई विशेषाधिकार नहीं माँगते। वे सिर्फ़ यह बात समाज,देश और दुनिया के सामने रखना चाहते हैं कि यदि कोई निर्वाचित सरकार इस तरह से काम करे ,जिसे वे उचित नहीं समझते ,तो कम से कम अपनी बात को अपने मंच और माध्यम से प्रकट करने का अवसर नहीं छीना जाना चाहिए। यही पत्रकारिता का कर्तव्य और धर्म है।
हिंदुस्तान के पत्रकार यह समझते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो ,वह अपनी स्वस्थ्य आलोचना भी बर्दाश्त नहीं करना चाहती। अलबत्ता स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक मुखर आलोचना को पर्याप्त संरक्षण मिलता रहा है। धीरे धीरे सियासत में घुल रहे सामंती ज़हर ने पत्रकारिता में भी दरबारी प्रवृति विकसित कर दी। इन दरबारियों को धन या अन्य प्रलोभन देकर अपनी पसंद की धुनों पर नाचने को बाध्य किया जाता है। जो ऐसा करने या नाचने से इनकार करते हैं ,वे प्रताड़ना के शिकार होते हैं। मौजूदा दौर में असहमत पत्रकारों को परेशान करने की प्रवृति तेज़ हो रही है।इसकी हर स्तर पर निंदा की जानी चाहिए। एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया से लेकर प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया तक और अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता संगठनों का एक साथ ,एक मंच पर आना इस बात का प्रमाण है कि लोकतांत्रिक अधिकारों को लंबे समय तक दबाया नहीं जा सकता।
हम यह नहीं कहते कि न्यूज़ क्लिक ने अगर कुछ ग़ैर क़ानूनी किया है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाए। उसके लिए तो सारी आज़ादी सरकार और जाँच एजेंसियों को है। लेकिन अगर चीन से अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ आर्थिक मदद दे रही हैं तो वह भी तो भारतीय विधि विधान के तहत ही मिली है। कोई हवाला के ज़रिए तो नहीं मिली है। चीन से भारत का औपचारिक क़ारोबार साल दर साल बढ़ रहा है। सरदार पटेल की मूर्ति से लेकर इस राष्ट्र में अनेक आध्यात्मिक और धार्मिक प्रतीक पुरुषों की प्रतिमाएँ या उनके हिस्से तक चीन से बनकर आ रहे हैं।तो फिर वहाँ की संस्था से पैसा लेना कौन सा पाप है ? यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है। यदि सरकार चीन से इतना ही दूरी बनाए रखना चाहती है तो उसे सारा व्यापार बंद कर देना चाहिए। वहाँ एशियाड खेलने के लिए खिलाड़ियों को नहीं भेजना चाहिए और उसे दुश्मन देश घोषित कर देना चाहिए। इसके बाद भी कोई चोरी से लेनदेन करता है तो कार्रवाई होनी चाहिए। भारत ने तो पाकिस्तान तक को सर्वाधिक पसंदीदा देश का दर्ज़ा दे रखा था,जिसने चार बार भारत से युद्ध छेड़ा। जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 का विलोपन हुआ तो पाकिस्तान ने अपनी ओर से व्यापार बंद कर दिया। किसी भी मामले में दो तरह के पैमाने नहीं हो सकते। न्यूज़ क्लिक पर कार्रवाई इस बात का उदाहरण है कि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले पत्रकारिता पर व्यवस्था ने अपने एक नए औज़ार का परीक्षण कर लिया है। इसकी काट के लिए पत्रकार और संपादक एक न हुए तो फिर अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा करना असंभव हो जाएगा ।