दुनिया के सबसे जघन्य नरसंहारों में से एक माने जाने वाले जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल बाद आखिरकार ब्रिटिश सरकार ने इशारा किया है कि वह इसके लिए माफी मांग सकती है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई इस हत्याकांड के शताब्दी वर्ष के सिलसिले में शाम को हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ब्रिटिश संसद) में हुई बहस के दौरान एक मंत्री ने सदन से कहा कि ब्रिटिश सरकार औपचारिक माफी की मांग पर विचार कर रही है।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स के निचले सदन में ‘अमृतसर नरसंहार: शताब्दी’ के नाम से चल रही चर्चा के दौरान ब्रिटिश मंत्री एनाबेल गोल्डी ने यह भी कहा कि सरकार ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के 100 साल पूरे होने के मौके को यथोचित व सम्मानित तरीके से याद किए जाने की योजना बनाई है। सरकारी व्हिप एवं बैरोनेस-इन वेटिंग पद संभाल रहीं गोल्डी ने कहा, जहां तक हम जानते हैं कि तत्कालीन सरकार (हत्याकांड के समय की ब्रिटिश सरकार) ने लगातार इस नृशंसता की निंदा की थी, लेकिन इसके बाद किसी भी सरकार ने इसके लिए माफी नहीं मांगी।
सदन में हो रही चर्चा में कई सदस्यों की तरफ से विचार पेश किए जाने के बाद गोल्डी सबसे आखिर में बोल रही थीं। उन्होंने कहा, मैं समझती हूं कि इसका कारण सरकारों की यह सोच थी कि इतिहास दोबारा नहीं लिखा जा सकता। यह अहम है कि हम बीती बातों के जाल में नहीं फंस सकते।
दुनिया के सबसे जघन्य नरसंहारों में से एक माने जाने वाले जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल बाद आखिरकार ब्रिटिश सरकार ने इशारा किया है कि वह इसके लिए माफी मांग सकती है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई इस हत्याकांड के शताब्दी वर्ष के सिलसिले में शाम को हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ब्रिटिश संसद) में हुई बहस के दौरान एक मंत्री ने सदन से कहा कि ब्रिटिश सरकार औपचारिक माफी की मांग पर विचार कर रही है।
हाउस ऑफ लॉर्ड्स के निचले सदन में ‘अमृतसर नरसंहार: शताब्दी’ के नाम से चल रही चर्चा के दौरान ब्रिटिश मंत्री एनाबेल गोल्डी ने यह भी कहा कि सरकार ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के 100 साल पूरे होने के मौके को यथोचित व सम्मानित तरीके से याद किए जाने की योजना बनाई है। सरकारी व्हिप एवं बैरोनेस-इन वेटिंग पद संभाल रहीं गोल्डी ने कहा, जहां तक हम जानते हैं कि तत्कालीन सरकार (हत्याकांड के समय की ब्रिटिश सरकार) ने लगातार इस नृशंसता की निंदा की थी, लेकिन इसके बाद किसी भी सरकार ने इसके लिए माफी नहीं मांगी।
सदन में हो रही चर्चा में कई सदस्यों की तरफ से विचार पेश किए जाने के बाद गोल्डी सबसे आखिर में बोल रही थीं। उन्होंने कहा, मैं समझती हूं कि इसका कारण सरकारों की यह सोच थी कि इतिहास दोबारा नहीं लिखा जा सकता। यह अहम है कि हम बीती बातों के जाल में नहीं फंस सकते।