जिले के रीठी और पठार में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के स्थिति क्या है। इसकी बानगी दिखा रहा है नैगवां के आश्रित गांव खुसरा। यह पूरा का पूरा खुसरा गांव सिर्फ एक प्राकृतिक कुंड के जल पर आश्रित हो गया है। यहां पर एक भी हैंडपंप चालू हालत में नहीं है। उपेक्षा का दंश झेल रहे खुसरा वासियों ने समस्या जाहिर करते हुए बताया कि चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि आते हैं और वोट के बदले में गांव के विकास की घोषणाएं तो कर जाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद यहां झांकने की फुर्सत उन्हें नहीं मिलती।
जिले के रीठी और पठार में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के स्थिति क्या है। इसकी बानगी दिखा रहा है नैगवां के आश्रित गांव खुसरा। यह पूरा का पूरा खुसरा गांव सिर्फ एक प्राकृतिक कुंड के जल पर आश्रित हो गया है। यहां पर एक भी हैंडपंप चालू हालत में नहीं है। उपेक्षा का दंश झेल रहे खुसरा वासियों ने समस्या जाहिर करते हुए बताया कि चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि आते हैं और वोट के बदले में गांव के विकास की घोषणाएं तो कर जाते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद यहां झांकने की फुर्सत उन्हें नहीं मिलती।