कई सालों के इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय एयरफोर्स के बेड़े में चार चिनूक हेलिकॉप्टर्स शामिल हो गए हैं। गुजरात के मुंद्रा एयरपोर्ट पर पहले बैच के तहत 4 चिनूक हेलिकॉप्टर्स पहुंचे। सितंबर 2015 में भारत के बोइंग और अमेरिकी सरकार के बीच 15 चिनूक हेलिकॉप्टर्स खरीदने के लिए करार किया गया था। अगस्त 2017 में रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय सेना के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग से 4168 करोड़ रुपये की लागत से छह अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर, 15 चिनूक भारी मालवाहक हेलीकॉप्टर अन्य हथियार प्रणाली खरीदने के लिए मंजूरी प्रदान की थी। मशीन: यह आइकॉनिक ट्विन रोटोर चौपर युद्ध में अपनी जरूरत को कई बार साबित कर चुका है। चिनूक हेलिकॉप्टर्स को वियतनाम से लेकर अफगानिस्तान और इराक तक के युद्ध में इस्तेमाल किया जा चुका है। सबसे पहले चिनूक हेलिकॉप्टर को 1962 में उड़ाया गया था और तब से अब तक इसकी मशीन में बड़े अपग्रेड हो चुके हैं। फिलहाल यह दुनिया के सबसे भारी लिफ्ट चौपर में से एक है।
कई सालों के इंतजार के बाद आखिरकार भारतीय एयरफोर्स के बेड़े में चार चिनूक हेलिकॉप्टर्स शामिल हो गए हैं। गुजरात के मुंद्रा एयरपोर्ट पर पहले बैच के तहत 4 चिनूक हेलिकॉप्टर्स पहुंचे। सितंबर 2015 में भारत के बोइंग और अमेरिकी सरकार के बीच 15 चिनूक हेलिकॉप्टर्स खरीदने के लिए करार किया गया था। अगस्त 2017 में रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय सेना के लिए अमेरिकी कंपनी बोइंग से 4168 करोड़ रुपये की लागत से छह अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर, 15 चिनूक भारी मालवाहक हेलीकॉप्टर अन्य हथियार प्रणाली खरीदने के लिए मंजूरी प्रदान की थी। मशीन: यह आइकॉनिक ट्विन रोटोर चौपर युद्ध में अपनी जरूरत को कई बार साबित कर चुका है। चिनूक हेलिकॉप्टर्स को वियतनाम से लेकर अफगानिस्तान और इराक तक के युद्ध में इस्तेमाल किया जा चुका है। सबसे पहले चिनूक हेलिकॉप्टर को 1962 में उड़ाया गया था और तब से अब तक इसकी मशीन में बड़े अपग्रेड हो चुके हैं। फिलहाल यह दुनिया के सबसे भारी लिफ्ट चौपर में से एक है।